Class 9th Social Science Half yearly paper 2021

Class 9th Social Science Half yearly paper 2021

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Class 10th social science paper 2021


भारत और समकालीन विश्व-2 (इतिहास)

 अध्याय 1


यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय


[The Rise of Nationalism in Europe]




महत्वपूर्ण बिन्दु


- 19वीं शताब्दी के दौरान, राष्ट्रवाद के विचारों ने यूरोप के राजनीतिक और मानसिक दुनिया में अनेक परिवर्तन किये।


» राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रान्ति के साथ हुई।


नेपोलियन ने फ्रांस में 1799 से 1815 तक शासन किया।


 नेपोलियन की संहिता ने जन्म लिया जिसमें जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिये गये।


 विएना की संधि हुई और फ्रांस में बूबों राजाओं का शासन स्थापित हुआ।


फ्रांस में जुलाई 1830 में एक संवैधानिक राजतन्त्र स्थापित किया गया।


17 अधिकांश देशों में एक सांस्कृतिक आन्दोलन जोर पकड़ने लगा, संसद का सामाजिक आधार कमजोर होने लगा।


 यूरोप में राष्ट्रवाद और क्रान्ति से अलगाव होने लगा।


- यूनियन अधिनियम 1707 के परिणामस्वरूप यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ।


- अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के कलाकारों ने राष्ट्र का मानवीकरण कर राष्ट्र को नारी भेष में प्रस्तुत किया और नारी राष्ट्र का रूपक बन गयी।


19वीं सदी के अन्तिम चौथाई समय तक यूरोप में गंभीर राष्ट्रवाद का तनाव उत्पन्न हुआ।


साम्राज्यवाद से जुड़कर राष्ट्रवाद 1914 में यूरोप को महाविपदा की ओर ले गया। सभी राष्ट्र राज्य का निर्माण करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। सभी एक सामूहिक राष्ट्रीय एकता की भावना से प्रेरित थे।






अध्याय 2


भारत में राष्ट्रवाद


[Nationalism in India]


 महत्वपूर्ण बिन्दु


> राष्ट्रवाद एक ऐसी एकता की भावना या सामान्य चेतना है जो राजनीतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, भाषायी, जातीय व सांस्कृतिक तत्वों पर आधारित होती है।


- प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में एक नयी राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति उत्पन्न कर दी जिसके कारण राष्ट्रवाद को बढ़ावा  मिला।


1915 में गांधी जी ने भारत आने के पश्चात् अनेक स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाए।


> सन् 1919 ई. में गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ एक राष्ट्रवादी सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।


> गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा और ब्रिटिश शासन के प्रति असहयोग से भारत में स्वराज की स्थापना हो जाएगी।


- असहयोग आन्दोलन जनवरी 1921 में प्रारम्भ हुआ।


- देश के विभिन्न भागों से आन्दोलन को सफल बनाने के प्रयास किये गये।


गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर घटित घटना से द्रवित होकर महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लिया।


1928 ई. में साइमन कमीशन आया जिसका भारतीयों ने विरोध किया।


7 दिसम्बर 1929 ई. में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज' की माँग की गई।


26 अप्रैल 1930 में महात्मा गाँधी ने दांडी में नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को तोड़ा। पर. भीमराव अम्बेडकर ने 1930 में दलितों की एक एसोसिएशन बनाई।


साष्ट्रवादी नेताओं ने लोगों को एकजुट करने तथा राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए विभिन्न प्रकार के चिह्नों व प्रतीकों का यहाँ र प्रयोग किया।



अध्याय 2


संसाधन एवं विकास


[Resources and Development]


महत्वपूर्ण बिन्दु


| हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, 'संसाधन' कहलाती है।


संसाधन मानवीय क्रियाओं का परिणाम है।


संसाधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है-


(अ) उत्पत्ति के आधार पर-जैव और अजैव।


(ब) समाप्यता के आधार पर-नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य।


(स) स्वामित्व के आधार पर-व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय।


(द) विकास के स्तर के आधार पर-संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष।


संसाधन मानव के जीवनयापन के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अति आवश्यक हैं।


के संसाधनों के अंधाधुंध शोषण से  वैश्विक पारिस्थितिकी संकट पैदा हो गया है, जैसे- भूमंडलीय तापन, ओजोन परत अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण इत्यादि।


१ पर्यावरणसंरक्षण एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं का समाधान ढूँढने के लिए जून 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो नामक शहर में प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 100 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों भाग लिया।


भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी है।


धिरण की पुनर्स्थापना के लिए इसका प्रबन्धन आवश्यक है।



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