और भी दूं कविता कक्षा 7वी|or bhi du Class 7th Hindi
मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन, किन्तु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन । थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी, कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।
गान अर्पित, प्राण अर्पित रक्त का कण-कण समर्पित । चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
माँज दो तलवार को, लाओ न देरी,
बाँध हो कसकर, कमर पर ढाल मेरी,
भाल पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी,
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो,
गाँव मेरे, द्वार घर-आँगन क्षमा दो,
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो,
और बाएँ हाथ मध्वज का थमा दो।
ये सुमन लो यह चमन लो
नीड़ का तृण-तृण समर्पित,
चाहता हूँ मैं देश की धरती, तुम कुछ और भी दूं।
प्रश्न 1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क) कवि मातृभूमि को क्या-क्या समर्पित करना चाहता है?
(ख) कवि अपने सर्वस्व समर्पण के बाद भी संतुष्ट क्यों नहीं है?
ग)कवि क्षमा याचना क्यों कर रही
(घ) कविता का मुख्य संदेश क्या है?
घ)
प्रश्न 2.निम्नलिखित भाव कविता मी जिन पंक्तियों से प्रकट होते हैं उन पंक्तियों को लिखिए।
क) मोहमाया के बंधन को तोड़ना ।
(ख) सम्पूर्ण आयु को समर्पण करना।
(ग) बलिदान के लिए तत्परता।
प्रश्न 3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए।
(क) प्रस्तुत कविता का मुख्य भाव क्या है?
(1) मातृभूमि के प्रति आदर।
(2) मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण की चाह ।
(3) मातृभूमि की महानता का गुणगान।
(4) मातृभूमि से क्षमा याचना।
(ख)काव अपने जीवन, घर-परिवार और गाँव से क्षमा याचना करता है क्योंकि वह -
(1) इनके प्रति दायित्व निर्वाह नहीं करना चाहता।
(2) इनकी अपेक्षा देश के प्रति दायित्व निर्वाह को महत्वपूर्ण मानता है।
(3)इनके प्रति दायित्व निभाने में स्वयं को असमर्थ पाता है।
(4)इनसे छुटकारा पाना चाहता है।
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