Essay on Rabindranath Tagore in hindi

Essay on Rabindranath Tagore in hindi

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध / Essay on Rabindranath Tagore in hindi

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                      रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध

Table of contents-

1.रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध  (150 शब्द)

2.रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध  (400 शब्द)

2.1 परिचय

2.2 महान लेखक

2.3 राष्ट्रगान के रचयिता

2.4 प्रसिद्ध रचनाएं

3. रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (600 शब्द)

3.1 परिचय

3.2 शिक्षा

3.3 कृतियाँ

3.4 सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान

3.5 नोबेल पुरस्कार विजेता

3.6 प्रकृति प्रेमी

3.7 स्वाभाविक प्रतिभा के धनी

3.8 महात्मा गाँधी के प्रेरणास्रोत

4. FAQs

आज की पोस्ट में हम आपको रवींद्रनाथ टैगोर पर हिंदी में निबंध / Essay on Rabindranath Tagore in hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस निबंध से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं।  तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए। रविंद्र नाथ टैगोर का निबंध हिंदी में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पड़ेगा। रविंद्र नाथ टैगोर कौन है इनका संपूर्ण जीवन परिचय इस पोस्ट में हम बताने वाले हैं। और साथ में रविंद्र नाथ टैगोर से संबंधित सभी इंपोर्टेंट फैक्ट भी इस पोस्ट में हम देखने वाले हैं तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें। रविंद्र नाथ टैगोर कौन है ।रवींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध पुस्तक कौन है?,क्या रवींद्रनाथ टैगोर अमीर थे?,रवींद्रनाथ टैगोर की सबसे अच्छी कहानी कौन सी है?,रवींद्रनाथ टैगोर ने कौन सा नारा दिया था?राष्ट्रगान किसकी याद में गाया जाता है?,गुरुदेव का कौन सा गीत राष्ट्रगान बना?


रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध  (150 शब्द)


रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, देशभक्त, दार्शनिक, मानवतावादी और चित्रकार थे।  उनका जन्म कलकत्ता के जोरासांको में 7 मई 1861 को महर्षि देबेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पैतृक घर में हुआ था।  रवींद्रनाथ टैगोर अपने माता-पिता की 14 वीं संतान थे, हालांकि दूसरों से अलग थे।  उन्होंने निजी शिक्षकों द्वारा घर पर ही विभिन्न विषयों के बारे में उचित शिक्षा और ज्ञान प्राप्त किया।  वह बहुत छोटा था जब उसने कविताएँ लिखना शुरू किया था, उनमें से कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे।


रवींद्रनाथ टैगोर अपनी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए लेकिन वहां की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से संतुष्ट नहीं थे।  वह भारत लौट आए और बंगाल के बीरभूम के बोलपुर में शांतिनिकेतन नाम से अपना स्कूल खोला।  यह स्कूल बाद में एक कॉलेज और फिर एक विश्वविद्यालय (विश्वभारती) बन गया।  उन्हें 1913 में 'गीतांजलि' के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें ब्रिटिश क्राउन द्वारा नाइटहुड से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन जलियांवालाबाग में हुए नरसंहार के विरोध में वे वापस लौट आए।


रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध  (400 शब्द)


परिचय- रवींद्रनाथ टैगोर, एक महान भारतीय कवि, का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता, भारत में देबेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के यहाँ हुआ था।  उनका जन्म एक समृद्ध और सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार में हुआ था।  रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर निजी शिक्षकों के अधीन ली और कभी स्कूल नहीं गए लेकिन उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए।  उन्होंने आठ साल की कम उम्र में ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था।  उनकी कविता छद्म नाम भानुसिंहो (सूर्य सिंह) के तहत प्रकाशित हुई जब वे सिर्फ सोलह वर्ष के थे।  वह 1878 में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए लेकिन एक कवि और लेखक के रूप में अपना करियर पूरा करने से पहले भारत लौट आए।


महान लेखक - इंग्लैंड की लंबी समुद्री यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी कृति गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद किया।  रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी गीतांजलि प्रकाशित होने के वर्ष के भीतर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  उन्होंने अपने लेखन में भारतीय संस्कृति के रहस्यवाद और भावुक सौंदर्य का उल्लेख किया है जिसके लिए पहली बार एक गैर-पश्चिमी व्यक्ति को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  एक प्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ वे एक प्रतिभाशाली, लेखक, उपन्यासकार, दृश्य कलाकार, संगीतकार, नाटककार और एक दार्शनिक भी थे।  वे अच्छी तरह जानते थे कि कविता या कहानियाँ लिखते समय भाषा पर कैसे अधिकार करना है।  वह एक अच्छे दार्शनिक थे जिनके माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय लोगों की एक बड़ी श्रृंखला को प्रभावित किया।


राष्ट्रगान के रचयिता- भारतीय साहित्य के प्रति उनका योगदान बहुत विशाल और अविस्मरणीय है।  उनके रवीन्द्रसंगीत के दो गीत अधिक प्रसिद्ध हैं क्योंकि वे दो देशों के राष्ट्रगान रहे हैं जैसे "आमार सोनार बांग्ला" (बांग्लादेश का राष्ट्रगान) और "जन गण मन" (भारत का राष्ट्रगान)।  उनका रचनात्मक लेखन, चाहे कविता के रूप में हो या कहानियों के रूप में, आज भी अविरल है।  शायद वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने प्रभावी लेखन के माध्यम से पश्चिम और पूर्व के बीच की खाई को पाट दिया।


प्रसिद्ध रचनाएं- उनकी एक अन्य रचना पुरवी थी जिसमें उन्होंने सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि अनेक विषयों के अंतर्गत सांध्यकालीन गीतों और प्रातः के गीतों का उल्लेख किया है। मानसी उनके द्वारा 1890 में लिखी गई जिसमें उन्होंने कुछ सामाजिक और काव्यात्मक कविताओं का संग्रह किया।  उनका अधिकांश लेखन बंगाल के लोगों के जीवन पर आधारित था।  गल्पगुच्चा नामक एक अन्य लेखन भारतीय लोगों की गरीबी, पिछड़ेपन और अशिक्षा पर आधारित कहानियों का संग्रह था।


अन्य काव्य संग्रह सोनार तारि, कल्पना, चित्रा, नैवेद्य आदि हैं और उपन्यास गोरा, चित्रांगदा और मालिनी, बिनोदिनी और नौका दुबई, राजा और रानी आदि हैं।  संकट के दिन।  वह एक महान शिक्षाविद् थे और इस प्रकार शांति निकेतन नामक एक अद्वितीय विश्वविद्यालय की स्थापना की।  भारत की स्वतंत्रता को देखने से पहले 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में उनका निधन हो गया।


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भारत देश के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता

रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (600 शब्द)


परिचय 

श्री रवीन्द्रनाथ जी (बांग्ला साहित्य के महान् कवि) का स्थान अंग्रेजी साहित्य में शेक्सपियर के समान, हिन्दी साहित्य में तुलसीदास के समान व संस्कृत साहित्य में 'कविकुलगुरु कालिदास' के समान है। उनका नाम आधुनिक भारतीय कलाकारों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। वे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि रचनात्मक साहित्यकार के रूप में भी विख्यात हैं। श्री रवीन्द्रनाथ जी दीन और दलित वर्ग की हीन दशा के महान् सुधारक थे। श्री रवीन्द्रनाथ का जन्म कलकत्ता नगर में 7 मई, 1861 को एक धनाढ्य परिवार में हुआ था। इनके पास बहुत अचल सम्पत्ति थी। इनकी माता का नाम श्रीमती शारदा देवी व पिता का नाम देवेन्द्रनाथ था। इनका जीवन नौकर-चाकरों  की देखरेख में व्यतीत हुआ। खेल और स्वच्छन्द विहार का समय न मिलने से इनका मन उदास रहता था। शिक्षा के क्षेत्र में 'विश्वभारती' का निर्माण इनकी अनुपम और अमर रचना है। इसमें प्राचीन भारत की आश्रम पद्धति से शिक्षा दी जाती है। आज  विश्वभारती संस्था स्वतन्त्र विश्वविद्यालय के समान कार्य करके शिक्षा के प्रचार-प्रसार के रूप में अपनी कीर्ति को सर्वत्र बिखेरकर संसार को आलोकित करने में लगी है। रवीन्द्रनाथ जी की मृत्यु 7 अगस्त, 1949 में हुई, परन्तु उनका काव्य आज भी जन-जन में लोकप्रिय है।


शिक्षा


रवीन्द्रनाथ की प्रारम्भिक शिक्षा घर में ही हुई। वे घर पर गणित, विज्ञान और संस्कृत पढ़ते थे। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता के ओरिएण्टल सेमिनार स्कूल और नॉर्मल स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन वहाँ अध्यापकों के स्वेच्छाचरण और सहपाठियों की हीन मनोवृत्तियों और अप्रिय स्वभाव को देखकर उनका मन नहीं लगा। 1873 ई. में पिता देवेन्द्रनाथ, रवीन्द्रनाथ जी को अपने साथ हिमालय पर ले गए। सत्रह वर्ष की आयु में रवीन्द्रनाथ अपने भाई सत्येन्द्रनाथ के साथ कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लन्दन गए, परन्तु वहाँ वे बैरिस्टर की उपाधि न प्राप्त कर सके और दो वर्ष बाद कलकत्ता लौट आए।


कृतियाँ

इन्होंने शैशव संगीत, प्रभात संगीत, सान्ध्य संगीत, नाटकों में रुद्रचण्ड, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन, राजर्षि, चोखेरवाली, चित्रांगदा, कौड़ी ओकमल, गीतांजलि आदि अनेक कृतियों की रचना की।


सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान

श्री रवीन्द्रनाथ जी का योगदान केवल शिक्षा क्षेत्र में ही नहीं, अपितु सांस्कृतिक क्षेत्र में भी इन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। सांस्कृतिक क्षेत्र में इन्होंने भारतीय एवं पाश्चात्य शैलियों का समन्वय करके संगीत की नई शैली का आविष्कार किया। यह शैली 'रवीन्द्र संगीत' के नाम से प्रसिद्ध है।


नोबेल पुरस्कार विजेता

श्री रवीन्द्रनाथ जी का बांग्ला तथा अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार था, इसलिए दोनों ही भाषाओं में इन्होंने साहित्य की रचना की। बांग्ला भाषा में रचित विश्वप्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' पर इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।


प्रकृति प्रेमी

श्री रवीन्द्रनाथ जी को प्रकृति से अत्यधिक प्रेम था। इनके भवन के पीछे एक सुन्दर सरोवर था। उसके दक्षिणी किनारे पर नारियल के पेड़ थे और पूर्वी तट पर एक बड़ा वट का पेड़ था।

रवीन्द्रनाथ जी अपने भवन की खिड़की में बैठकर इस दृश्य को देखकर प्रसन्न होते थे। ये सरोवर में स्नान करने के लिए आने वालों की चेष्टाओं और वेशभूषा को देखते रहते थे। शाम के समय सरोवर के किनारे बैठे बगुलों, हंसों और जलमुर्गियों के स्वर को बड़े प्रेम से सुनते थे।


स्वाभाविक प्रतिभा के धनी

रवीन्द्रनाथ में साहित्य रचना की स्वाभाविक प्रतिभा थी। उनके परिवार में घर पर प्रतिदिन गोष्ठियाँ, चित्रकला की प्रदर्शनी, नाटक-अभिनय और देश सेवा के कार्य होते रहते थे। उन्होंने अनेक कथाएँ और निबन्ध लिखकर उनको भारती, साधना, तत्त्वबोधिनी आदि पारिवारिक पत्रिकाओं में प्रकाशित कराया।


महात्मा गाँधी के प्रेरणास्रोत

रवीन्द्रनाथ महात्मा गाँधी के प्रेरणास्रोत थे। अंग्रेजों की हिन्दू जाति के विभाजन की नीति के विरुद्ध गाँधीजी जेल में आमरण अनशन करना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए रवीन्द्रनाथ जी से ही अनुमति माँगी और उनका समर्थन प्राप्त करके आमरण अनशन किया।


FAQs


Q.रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans.रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को वर्तमान कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।


Q.रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार कब और क्यों मिला था?

Ans.1913 में, रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रवीन्द्रनाथ टैगोर को यह पुरस्कार उनके काव्य-संग्रह गीतांजलि के लिए मिला, जो उनका सबसे अच्छा काव्य-संग्रह था।


Q- कौन थे रविंद्रनाथ टैगोर ?

Ans- रविंद्रनाथ टैगोर कवि, साहित्यकार, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे।


Q- रविंद्रनाथ टैगोर को किसके लिए मिला था नोबेल पुरस्कार?

Ans- गीतांजली के लिए उन्हें 1913 मिला था नोबेल पुरस्कार।




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