Madhya Pradesh Gk in hindi 2023- Police (सामान्य अध्ययन) for mp police
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज की इस नयी पोस्ट में आजकी हमारी पोस्ट मध्यप्रदेश पुलिस से संंबंधित हैै जैसा की आपको पता है कि अभी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पुलिस अधीक्षक 4000 पदों पर भर्ती के की जा रही है तो आज की इस पोस्ट में आपको इस परीक्षा के लिए MP की जलवायु से संबंधित Gk के बहुुुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न बताने वाला हूूं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़कर ही जायें
· किसी भी क्षेत्र में लम्बे समय तक पायी जाने वाली ताप, वर्षा, वायु आर्द्रता आदि की मात्रा, अवस्था तथा गति का औसत रूप में पाया जाना वहॉं की जलवायु कहलाती है।
· जलवायु के आधार पर मध्यप्रदेश को चार भागों में बॉंटा गया है –
1. उत्तर का मैदान – इसमें बुन्देलखण्ड, मध्यभारत, रीवा-पन्ना का पठार शामिल है। समुद्र से दूर होने के कारण यहॉं पर गर्मी में अधिक गर्मी और ठण्ड पड़ती है।
2. मालवा का पठार- यहॉं की जलवायु सम पायी जाती है अर्थात् यहाँ पर न तो ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी और न शीत ऋतु में अधिक सर्दी पड़ती है।
3. विन्ध्य का पहाड़ी प्रदेश- इसमें अधिक गर्मी नहीं पड़ती और ठण्ड में भी साधारण ठण्ड पड़ती है। विन्ध्यचल पर्वत का क्षेत्र सम जलवायु क्षेत्र है। पचमढ़ी, अमरकंटक आदि इसके अंतर्गत आते हैं।
4. नर्मदा की घाटी- यहाँ की मानसूनी जलवायु है। गर्मी में अधिक गर्मी तथा ठण्ड में साधारण ठण्ड पड़ती है। इसके निकट से कर्क रेखा गुजरती है।
· सूर्य का उत्तरायण होना 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् चमकता है और इसी स्थिति में दिन-रात बराबर होते हैं।
· 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध पर ताप बढ़ जाता है।
· मध्यप्रदेश में अधिकांश वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से होती है।
· मध्यप्रदेश में मध्य जून से सितम्बर तक वर्षा होती है।
· मध्यप्रदेश के रीवा-पन्ना के पठार से दक्षिण-पूर्वी मानसून से भी वर्षा होती है।
· मध्यप्रदेश में सबसे अधिक वर्षा मचमढ़ी में 199 सेमी. होती है।
· मध्यप्रदेश में सबसे कम वर्षा भिण्ड में 55सेमी. होती है।
· मध्यप्रदेश में औसत वर्षा 112सेमी. होती है।
· मध्यप्रदेश में 75 सेमी. से कम वर्षा का क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र है।
· मध्यप्रदेश में 75 सेमी. से अधिक वर्षा का क्षेत्र पूर्वी क्षेत्र कहलाता है।
· पूर्वी क्षेत्र में वर्षा का औसत 140 सेमी. के लगभग है, जबकि प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा का औसत 75 सेमी. है।
· 23 सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन होता है अर्थात् सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध की ओर बढ़ने लगता है।
· 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर होता है। इससे दक्षिण गोलार्द्ध पर ताप बढ़ जाता है और उत्तरी गोलार्द्ध पर ताप कम हो जाता है, जिससे गर्मी और सदी की मात्रा बढ़ जाती है।
· मध्यप्रदेश में ऋतु संबंधी ऑंकड़े एकत्रित करने वाली वेधशाला इंदौर में हैं।
· कर्क रेखा मध्यप्रदेश के मध्य से गुजरती है।
· मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी दोनों मानसूनों में वर्षा होती है।
· मध्यप्रदेश में सबसे अधिक तापमान गंजबासौदा में 48.7 मापा गया।
· मध्यप्रदेश का औसतन ताप 21 सेंटीग्रेड ऑंका गया है।
· मध्यप्रदेश में सबसे कम तापमान शिवपुरी का मापा गया है।
- · मध्यप्रदेश में शीत ऋतु में अधिकत्तम सूखा रहता है।
मध्यप्रदेश में पंचायती राज
- वैदिक काल से लेकर वर्तमान युग तक के लम्बे सफर में पंचायतों अपना वजूद कायम रखने में कामयाब रही है चाहे विभिन्न काल खण्डों में उनका स्वरूप कैसा भी रहा हो।
- भारत में पंचायतों की व्यवस्था गॉंवों के प्रबंध व उनकी समस्याओं के निराकरण (चाहे वे आर्थिक हो या सामाजिक हो) के लिए महत्वपूर्ण थी।
- सन् 1830 में सर चार्ल्स मैटकॉफ ने भारत के आत्मनिर्भर गॉंवों को ‘’लघु गणराज्य’’ नाम दिया था।
- पंचायती राज के अतंर्गत ग्रामीण जनता का सामाजिक आर्थिक सुधार, सांस्कृति विकास उनके द्वारा स्वयं किया जाता है।
- भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र की वास्तविक सफलता तब है जब शासन के सभी स्तरों पर जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो।
- भारत की भांति मध्यप्रदेश में भी पंचायती राज व्यवस्था का एक विकास क्रम रहा है।
- लोकतंत्र की संकल्पाना को यर्थाथ में अस्तित्व प्रदान करने की दिशा में पंचायती राज एक ठोस कदम है।
- पंचायती राज ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें शासन कार्यों में समाज के सभी वर्गों की भूमिका होती है।
- मध्यप्रदेश में स्वतंत्रता पूर्व व पश्चात पंचायतीराज व्यवस्था लागू थी, परंतु 73वें संविधान संशोधन के बाद यह नये रूप में लागू हुई ।
- राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के बाद 1 नवंबर, 1956 में नवीन मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना हुई।
- चूंकि नये राज्य की स्थापना से पूर्व विभिन्न प्रांतों में अपने-अपने पंचायती राज एक्ट के तहत पंचायतों का कार्य संचालन होता था, जिन्हें एकीकृत कर एकरूपता व समानता प्रदान किया जाना आवश्यक था।
· पाण्डे समिति ने सितंबर 1958 को अपना प्रतिवेदन सिफारिशों के साथ सरकार को सौंप दिया।
· इस समिति ने बलवंतराय मेहता मॉडल का अनुसरण करते हुए त्रि-स्तरीय पंचायत राज के साथ न्याय पंचायत राज के साथ न्याय पंचायत पूरे राज्य में लागू किये जाने की सिफारिश की थी।
· पाण्डे समिति की अनुशंसाओं को प्रभावशील बनाने के लिये राज्य शासन द्वारा पंचायत विधेयक 1960 तैयार किया गया।
· इसी के चलते राज्य शासन द्वारा वर्ष 1961 में उस समय कार्यरत् पंचायतों का कार्यकाल एकीकृत पंचायत अधिनियम बन जाने तक के लिये बढ़ा दिया गया।
मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम – 1962
· मध्यप्रदेश राज्य के पुनर्गठन के बाद संपूर्ण प्रदेश में पंचायत राज की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम- 1962 पारित किया गया।
· 1962 के अधिकनियम में यह उपबंध था कि साधारणत: 1500-2500 की जनसंख्या वाले ग्राम अथवा ग्राम समूह के लिए एक ग्राम सभा गठित की जायेगी।
· चुनाव वयस्क मताधिकार प्रणाली पर आधारित थे।
· प्रत्येक ग्राम पंचायत एक निधि स्थापित करेगी और उसे बनाए रखेगी जो पंचायत निधि कहलायेगी।
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