संचारी रोग पर निबंध हिंदी में | sanchari Rog essay in Hindi

संचारी रोग पर निबंध हिंदी में | sanchari Rog essay in Hindi

संचारी रोग पर निबंध हिंदी में | sanchari Rog essay in Hindi

क्या आप संक्रामक रोग संचारी रोग पर निबंध (sanchari Rog aise in Hindi) लिखना चाहते हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं, आज इस पोस्ट के माध्यम से मैंने आपको संचारी रोग पर हिंदी में निबंध कैसे लिखते हैं बताया है आइए बिना समय गवाएं पढ़ते हैं।


संचारी रोग पर निबंध हिंदी में || sanchari Rog essay in Hindi

"स्वच्छता को अपनाएं,

संचारी रोग दूर भगाएं ।"


प्रस्तावना- संचारी रोग भी लोग हैं जो एक व्यक्ति या जानवर से दूसरे व्यक्ति में खेलते हैं, वायरस बैक्टीरिया और कवक जैसे रोगजनक ऐसे रोगों का कारण बनते हैं।


संचारी रोग शारीरिक तरल पदार्थ, कीड़े के काटने, दूषित सतहों, पानी और खाद पदार्थों के संपर्क में आने या हवा के माध्यम से खेल सकते हैं।


हमारे देश में गर्मी के दस्तक देने के साथ संक्रामक रोग फैलने लगते हैं जिन्हें संचारी रोग भी कहा जाता है इस तरफ उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष संचारी रोग पखवाड़ा चलाया गया है जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है इसके लिए कई विभाग एक साथ मिलकर काम करते हैं जिससे बच्चों का टीकाकरण करने के लिए कई टीमें बनाई गई हैं सबको उनकी प्रकृति के अनुरूप जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुछ जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप से बच्चों को बचाने पर विशेष ध्यान देना है इसके अंतर्गत गांव गांव में मरीजों को खोजा जाएगा । गांव में स्वच्छता फैलाकर लोगों को इन बीमारियों के बचाव को लेकर स्वच्छता अभियान के महत्व को जानना होगा हाई रिस्क गांव में जेई एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस के खात्मे का जिम्मा विशेष शिक्षकों को दिया जा रहा है ।विशेष अभियान के अंतर्गत यह शिक्षक गांव में जाकर लोगों को इंसेफेलाइटिस व अन्य संचारी रोगों से बचाव के लक्षणों की जानकारी देंगे। ग्रामीणों को टॉयलेट का प्रयोग करने व बच्चों में बुखार या अन्य संक्रामक रोगों के लक्षण हों तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। संचारी या संक्रामक रोग क्या है :-


संचारी रोग पर निबंध हिंदी में || sanchari Rog essay in Hindi

बरसात के शुरू होते ही जब पानी जगह-जगह भर जाता है इससे तरह-तरह के नए कीटाणु रुके हुए पानी से उत्पन्न होने लगते हैं जो अपने साथ अनेक रोगों को जन्म देते हैं जिसका प्रभाव न केवल मानव शरीर पर पड़ता है बल्कि इससे बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं। इन्हें मौसमी रोग भी कहा जाता है यह रोग निम्न प्रकार हैं जैसे मलेरिया जो प्रोटोजोआ से होता है जिसमें तेज बुखार का आना स्वभाविक है। टाइफाइड जीवाणु से फैलता है इसमें भी कभी हल्का बुखार तो कभी तेज बुखार आने लगता है इसका प्रभाव हमारे लीवर व शारीरिक क्षमता पर भी पड़ता है । चेचक जोकि विषाणु से तेज बुखार व दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, इसके अतिरिक्त इनफ्लुएंजा जो विषाणु से उत्पन्न होता है, हैजा,खसरा कुष्ठ रोग, हेपेटाइटिस इत्यादि।


परिचय ( Parichay)- 


संचारी रोग वे रोग हैं, जो एक व्यक्ति या जानवर से व्यक्ति में फैलते हैं. वायरस, बैक्टीरिया, और कवक जैसे रोगजनक ऐसे रोगों का कारण बनते हैं. संचारी रोग शारीरिक तरल पदार्थ, कीड़े के काटने, दूषित सतहों, पानी और खाद पदार्थों के संपर्क में आने या हवा के माध्यम से खेल सकते हैं ।


संचारी रोग बहुत तेजी से फैलते हैं जिससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सामान्यतः इन रोगों के लक्षण में दस्त, बुखार, दिमागी बुखार, ज्वर का चढ़ना, उतरना आदि। इनमें अनियमित खांसी, बहुत तेज खांसी, उल्टी जैसे लक्षण होते हैं। जिससे इन बीमारियों के आगमन का पता चलता है। इन सब रोगों के फैलने की वजह गंदे पानी का नालियों में एकत्रित होना। तेज बारिश के बाद जलभराव। यदि सब लोग अपने स्तर पर इन रोगों को रोकने के लिए उपाय करते हैं तो निश्चय ही काफी हद तक इन रोगों के फैलने पर नियंत्रण किया जा सकता है ।


संचारी रोग क्या है (sanchari rog kya hai)-


एक संचारी रोग कोई भी बीमारी है. जो लोगों या जानवरों के बीच से गुजरती है. लोग कभी-कभी संचारी रोगों को "संक्रामक या "संक्रामक रोगों के रूप में संदर्भित करते हैं. बैक्टीरिया, वायरस कवक और प्रोटोजोआ सहित रोगजनक ,संचारी रोगों का कारण बनते हैं. हैजा, मलेरिया, खसरा चेचक, प्लेग, स्वाइन फ्लू इत्यादि संचारी रोग है.


लक्षण ( lakshan)-


एक बार जब कोई तोड़ देना किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है. तो वह अफसर प्रतिकृति बनाना शुरू कर देता है. व्यक्ति जब लक्षणों का अनुभव करना शुरू करता है. रोग के आधार पर अलग- अलग होंगे . कुछ लोगों को किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं होगा. हालांकि, वे अभी भी रोगजनक संचारित कर सकते हैं. कुछ संचारी रोग हल्के हो सकते हैं. और लक्षण कुछ दिनों के बाद गायब हो जाते हैं. हालांकि, कुछ गंभीर और संभावित रूप से जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं. किसी व्यक्ति के समग्र स्वस्थ और प्रतिरक्षा कार के आधार पर लक्षण गंभीरता भिन्न हो सकती है.


निम्नलिखित उपायों का पालन करके संचारी रोगों के फैलने का खतरा कम किया जा सकता है-


1- अपने हाथों को अच्छी तरह और नियमित रूप से धोना.


2- घर पर सतहो को कीटाणु रहित करना, विशेष रुप से खिड़कियों, दरवाजों, के हैंडल और रसोई.


3-मोबाइल, लैपटॉप  को कीटाणु रहित करना.


4- खाद्य पदार्थों को स्वच्छता के साथ अच्छी तरह से पकाना.


5- खराब खाना खाने से परहेज.


6- जंगली जानवरों को छूने से बचें.


7- उपलब्ध टीकाकरण प्राप्त करें.


8- हमें चाहिए कि हम घर के बाहर कूड़ा करकट भी - होने दे. इसके लिए हम साफ सफाई करते रहें, कूड़ा करकट कूड़ेदान में ही डालें.


9- अक्सर बरसात के मौसम में संचारी रोग अधिकतर फैलते हैं. संचारी रोगों को फैलने से रोकने के लिए हम सभी को चाहिए कि हम अपने घरों के बाहर पानी खड़ा ना होने दें जिससे घरों में संचारी या संक्रामक रोग ना फैले।


10- इसके अलावा संक्रामक रोगों से बचने के लिए साफ सफाई करना चाहिए. घरों में बिल्कुल भी गंदगी नहीं फैलाना चाहिए. घरों में कूड़ा करकट को भी एकत्रित नहीं करना चाहिए. और उसे बाहर कूड़ेदान में फेंकना चाहिए.


उपसंहार ( upasana)-.


संचारी रोगों की रोकथाम हेतु समय-समय पर सरकार द्वारा विभिन्न तरह की अभियान चलाए जाते हैं. जनता को इस विषय में अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है. जिससे इन लोगों से बचा जा सके अथवा इनके होने पर संक्रमित व्यक्ति को उचित इलाज उपलब्ध हो सके.


"एक व्यक्ति से दूसरे में फैल जाते,

होते संचारी रोग गंदगी हम फैलाते।


FAQ-question


प्रश्न- संचारी रोग पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर- खुले में शौच नहीं जाना चाहिए इससे अनेक कीटाणु भग साडू हवा में फैल कर इन लोगों को जन्म देते हैं। संचारी रोगों से बचाव के लिए घर एवं घर के बाहर स्वच्छता होना अति आवश्यक है जिससे मलेरिया एवं डेंगू जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। संचारी रोगों जैसे- मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जोकि, एडिज, नामक मच्छर से पनपता है।


प्रश्न-संचारी रोग कौन से होते हैं

उत्तर- संचारी रोग: हानिकारक सूक्ष्मजीव सीधे संपर्क या वाहक के माध्यम से एक से दूसरे में संचारित होते हैं। खसरा, हैजा, मलेरिया, टीबी, हेपेटाइटिस। हार्ट अटैक, कैंसर, अस्थमा, सभी हीनताजन्य रोग। कॉड लिवर ऑयल, शकरकंद, गाजर, पालक।


प्रश्न-संचारी रोग की रोकथाम कैसे करें?

उत्तर- साथ ही किसानों को संचारी रोग से बचाव के लिए बताया कि नालियों में जलभराव ना होने दें। उनकी नियमित सफाई करें और जंगली झाड़ियां को नियमित साफ करें घर और कार्य स्थल के आसपास पानी जमा होने ना पाए और संक्रमित रोगों से बचाव करें।


प्रश्न-संचारी रोगों को रोकने का महत्व क्या है?

उत्तर- क्योंकि संचारी रोग जनसंख्या पर बहुत अधिक प्रभाव डाल सकते हैं इसलिए उनकी निगरानी और नियंत्रण जनता के स्वास्थ्य की रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


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